गंगा कल्याण योजना क्या हैं: Ganga Kalyan Yojana 1997
गंगा कल्याण योजना क्या हैं: Ganga Kalyan Yojana 1997:- देश की आर्थिक प्रगति के का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है हमारे कृषि व्यवस्था वर्तमान में देश है के लोगों का पैसा प्रतिशत से अधिक है हिस्सा अपने जीवन चलने के लिए कृषि पर निर्भर है। देश की कुल राष्ट्रीय आय का लगभग 23 प्रतिशत का योगदान केवल कृषि से होता है। कृषि क्षेत्र का विकास और इससे सोने और लाभकारी बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक है सिंचाई की सही व्यवस्था लेकिन दुःखद है कि देश में लगभग 72% कृषि योग्य भूमि अभी भी सिंचाई से वंचित है और यहां कृषि की अब भी मानसून का जुआ है।
इस ए सिंचित भूमि के बहुत बड़े इससे में छोटे किसान हैं जो अपने छोटे खेतों को वह सही से सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं और इसके कारण उन्हें आर्थिक समस्याएं हो रही है। इस समस्या ने उन्हें न केवल आर्थिक बधाई देने के लिए मजबूर किया है बल्कि देश के आर्थिक विकास में भी कृषि का योगदान काम हो रहा है सरकार ने इस समस्या को हल करने के लिए गंगा कल्याण योजना की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य है कृषि क्षेत्र को और बेहतर बनाना और सिंचाई की सुविधा प्रदान करना ।
गंगा कल्याण योजना का उद्देश्य : Ganga Kalyan Yojana Objective
संतानों में गंगा कल्याण योजना शुरू की थी ताकि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे लाखों करोड़ों लघु एवं सीमांत किसानों को उनके खेतों की सिंचाई के लिए सही साधन प्रदान किया जा सके और उनका आर्थिक विकास सुनिश्चित हो। देश में गरीबी की रेखा से नीचे जीवन बिताने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है जो कुल संख्या का लगभग 35% है। इन में सबसे अधिक खेती हर किसने विशेष का लघु किसानों और सीमांत किसानों की संख्या अधिक है ।
इन गरीबों कौन की खेतों की सिंचाई के लिए सही साधन नहीं मिलता जिसके कारण उन्हें अपने मेहनत का मूल्य नहीं मिल पाता। सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के लिए गंगा कल्याण योजना की शुरुआत की है। इसका मुख्य उद्देश्य गरीब किसानों को बोरवेल्स और ट्यूबवेल की सुविधा प्रदान करके उन्हें भूमिका जल के द्वारा सिंचाई करने की सुविधा प्रदान करना है इसके लिए भारत सरकार ने प्रतिबंध 200 करोड रुपए का बजट आवंटित किया है ।
गंगा कल्याण योजना का एक बार महत्वपूर्ण हिस्सा है कि इसी से गरीब किसानों को स्वरोजगार के अवसर मिलते हैं। इस योजना के तहत खुदाई के काम के लिए लोगों को नौकरी मिलती है और इससे उनका आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इसके साथ ही यह योजना बेरोजगारी को भी काम करने में मदद करती है ।
गंगा कल्याण योजना को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य था समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम की एक अंश के रूप में लेकिन बाद में इस पूरे देश में लागू करने का निर्णय लिया गया इसके अंतर्गत बोरवेल्स और ट्यूबवेल की सुविधा से गरीब किसानों की सिंचाई के लिए साधन मिलता है जिससे उनकी फसलों की उत्पादकता अमीर वृद्धि होती है और उन्होंने अधिक आय मिलती है ।
इस योजना के अंतर्गत बनाए जा रहे कुँए भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन कुँए मिलियन विल स्कीम से कुछ अलग है क्योंकि इन्हें सिंचाई के लिए बनाया जाता है ताकि खेती करने वाले लोग बेहतर तरीके से अपने खेतों को पानी पहुंच सके। यह स्कीम बेरोजगार लोगों को मजदूरी मिलने के लिए भी है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है ।
गंगा कल्याण योजना के माध्यम से सरकार ने सिंचाई साधनों के माध्यम से गरीबों की रेखा से नीचे जीवन बिता रहे किसानों को सहायता पहुंचाने का संकल्प लिया है इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा बल्कि उन्हें स्वरोजगार का अवसर भी मिलेगा ।
गंगा कल्याण योजना की लाभ की शर्ते : Ganga Kalyan Yojana Benefits Terms
- समूह में सम्मिलित किया जाने वाले लाभार्थियों के खेत आपस में मिले हुए होने चाहिए
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति के समूह में समानता इसी वर्ग में आने वाले किसानों को सम्मिलित किया जाएगा
- जहां अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों के खेतों की स्थिति इस प्रकार की हो कि उन्हें सामूहिक रूप से लाभ प्रधान कर पाना संभव नहीं हो वहां गैर अनुसूचित जाति एवं जनजाति किसने की संख्या 25% से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त इस प्रकार के समूह में गैर अनुसूचित जाति एवं जनजाति किसने की कुल भूमि की अधिकतम 25% अंश की सीमा तक की सदस्य बनाए जा सकते हैं।
- समूह में सम्मिलित किए जाने वाले लाभार्थी लघु अथवा सीमांत कृषक होने चाहिए।
- प्रत्येक लाभार्थी गरीबों की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला होना चाहिए ।
- आशावान लाभार्थी को पूर्व में किसी योजना द्वारा लघु सिंचाई के अंतर्गत लाभ प्राप्त व्यक्ति नहीं होना चाहिए ।
गंगा कल्याण योजना की चयन प्रक्रिया: Ganga Kalyan Yojana Selection Process
- लाभार्थियों का चयन केवल ग्राम पंचायत की खुली बैठक में ही किया जा सकेगा
- लाभार्थियों का चयन मात्रा उन परिवारों से ही किया जा सकेगा जो गरीबों की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों से संबंधित होंगे
- लाभार्थी को लघु कृषक अथवा सीमांत कृषक की श्रेणी का व्यक्ति होना चाहिए
- अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विकलांग सदस्यों हेतु 50% का आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा
- सामूहिक लाभ देने हेतु प्रत्येक समूह में केवल उन्हीं किसानों को सम्मिलित किया जाएगा जिनके क्षेत्र पर इस पर मिले हुए होंगे
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति किसानों का यथासंभव अलग समूह गठित किया जाएगा
- समूह के गठन के लिए यदि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के खेतों की स्थिति पास पास नहीं हो तो वहां 25% की सीमा तक गैर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों को भी सम्मिलित किया जा सकता है
- ग्राम पंचायत द्वारा लाभार्थियों के चयन के पश्चात क्षेत्र पंचायत के माध्यम से जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से इन लाभार्थियों की सूची की जांच कर कर यह सुनिश्चित किया जाएगा की वास्तविक रूप से जरूरतमंद लोग ही इस योजना के तहत लाभ उठा सके और योजना अपने उद्देश्यों की पूर्ति में कामयाब हो सके ।
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