प्रोटेम स्पीकर क्या होता है राजस्थान: Protem Speaker Kya Hota Hai
प्रोटेम स्पीकर क्या होता है राजस्थान: Protem Speaker Kya Hota Hai – तो अगर आप भी प्रोटेम स्पीकर के बारे में जानना चाहते है, तो आप बिलकुल सही जगह पर आए है, क्यों कि हम आज बात करेंगे प्रोटेम स्पीकर के बारे में। आज हम जानेगे कि प्रोटेम स्पीकर क्या होता है? प्रोटेम स्पीकर के क्या कार्य होते है? प्रोटेम स्पीकर की ताकत क्या होती है? अथवा!
प्रोटेम स्पीकर क्या होता है | Protem Speaker Kya Hota Hai?
प्रो-टेम शब्द का अर्थ होता है ‘कुछ समय के लिए’। प्रोटेम स्पीकर एक व्यक्ति होता है जो थोड़ी समय के लिए विधानसभा और लोकसभा के अध्यक्ष के कार्य को संभालता है। इस पद की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं और यह प्रक्रिया सामान्यत: विधानसभा के स्थायी अध्यक्ष चुने जाने तक के लिए होती है। प्रोटेम स्पीकर का कार्यक्षेत्र शपथ ग्रहण समारोह में भी होता है, जहां वह नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाता है।
प्रोटेम स्पीकर किसे बनाया जाता है | Protem Speaker Kise Banaya Jata Hai?
जब नयी विधानसभा या लोकसभा बनती है, तो सबसे अधिक अनुभवी नेता को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। यह कोई नियम नहीं है, लेकिन आमतौर पर ऐसा होता है क्योंकि इससे सदन की कार्यप्रणाली में सुधार होता है।
जब सत्तारूढ़ दल संसदीय कार्य मंत्रालय के माध्यम से नेता का नाम राज्यपाल को भेजता है, तो राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते हैं और उसे शपथ दिलाते हैं। प्रोटेम स्पीकर क्या होता है राजस्थान: Protem Speaker Kya Hota Hai
इसके बाद प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाते हैं। शपथ ग्रहण समारोह कुछ दिनों के लिए होता है, जिसमें सबसे पहले राज्य के सीएम शपथ लेते हैं।
प्रोटेम स्पीकर की ताकत क्या होती है | Protem Speaker Ki Takat Kya Hoti Hai?
- नवनिर्वाचित सदस्यों को सदन में शामिल करना।
- नए राष्ट्रपति का चयन भी प्रोटेम स्पीकर के नेतृत्व में होता है।
- विधानसभा की पहली बैठक भी प्रोटेम स्पीकर के साथ होती है।
राजस्थान प्रोटेम स्पीकर न्यूज़ | Rajasthan Protem Speaker News:
कल राजस्थान में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति हो सकती है। राज्यपाल कलराज मिश्र कल प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाएंगे और यहां बताया जा रहा है कि तीन सबसे अनुभवी विधायकों में से कोई एक प्रोटेम स्पीकर बन सकता है।
राजस्थान में बीजेपी सरकार बनने के बाद सरकारी मंत्रिमंडल के चरण में हलचल है। यहां कुछ पूर्व मंत्रियों और नए नेताओं को कैबिनेट में जगह मिल सकती है, लेकिन चुनावी दृष्टि से जातिवादी समीकरण को ध्यान में रखकर कदम उठाए जा रहे हैं।
कोटा संभाग की बात करते हुए, यहां कुछ विधायकों को मंत्री बनने की संभावना है। हाड़ौती संभाग में बीजेपी ने 17 सीटों पर 11 सीटें जीती हैं, और तीन जिलों में से दो जिले महत्वपूर्ण हैं जिनमें बीजेपी के विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
सियासी रुचियों के बीच में यह खबर है कि हाड़ौती से जीते गए विधायकों में कुछ को मंत्री पद मिल सकता है, जैसे मदन दिलावर, प्रताप सिंह सिंघवी, कंवरलाल मीणा, कल्पना देवी, हीरालाल नागर, और संदीप शर्मा। इसके अलावा, कोटा जिले की रामगंजमंडी सीट से विजय प्राप्त करने वाले मदन दिलावर को मंत्री पद के लिए देखा जा रहा है।
मदन दिलावर ने पहले भी बीजेपी शासनकाल में विधायक बन कर मंत्री पद का कार्यभार संभाला है। इससे उन्हें मंत्री पद पर रहने का अच्छा अनुभव हो गया है। उन्हें आर्थिक और सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है और उनका एससी समुदाय से होना भी एक बड़ा लाभ हो सकता है।
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