किशोर न्याय अधिनियम 2015 हिंदी में PDF : Kishor Nyay Adhiniyam 2015 in Hindi
किशोर न्याय अधिनियम 2015 हिंदी में PDF : Kishor Nyay Adhiniyam 2015 in Hindi – आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 क्या है? तो अगर आप भी इस महत्व पूर्ण जानकारी को सम्पूर्ण रूप से जानना चाहते है, तो आप सभी जुड़े रहे हमारे साथ इस आर्टिकल के अंत तक!
किशोर न्याय अधिनियम 2015 क्या है | Kishor Nyay Adhiniyam 2015 Kya Hain?
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 भारत का एक अधिनियम है जो बालकों के अधिकारों की रक्षा और उनका संरक्षण करता है। यह अधिनियम 2000 के किशोर न्याय अधिनियम को निरस्त कर देता है।
इस अधिनियम के तहत, “किशोर”वह है जो अभी तक अठारह वर्ष की आयु तक ना पंहुचा हो।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- बाल अधिकारों की सुरक्षा: किशोर न्याय अधिनियम 2015 बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। यह अधिनियम किशोरों को कानून के तहत समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है।
- बाल-मैत्रीपूर्ण प्रक्रिया: किशोर न्याय अधिनियम 2015 एक बाल-मैत्रीपूर्ण प्रक्रिया प्रदान करता है। यह अधिनियम किशोरों के साथ सम्मान और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने का प्रावधान करता है।
- किशारों का पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण: किशोर न्याय अधिनियम 2015 किशोरों के पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है। यह अधिनियम किशोरों को अपराध से पुनर्वासित करने और उन्हें सभ्य और उत्पादक नागरिक बनने में मदद करने के लिए कार्यक्रमों और सेवाओं को प्रदान करता है।
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- किशोर की परिभाषा: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो अठारह वर्ष की आयु प्राप्त नहीं किया है, किशोर है।
- किशोर न्याय बोर्ड: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत, प्रत्येक जिले में एक किशोर न्याय बोर्ड का गठन किया जाना है। किशोर न्याय बोर्ड का कार्य किशोरों के मामलों की सुनवाई करना और निर्णय लेना है।
- बाल कल्याण समिति: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत, प्रत्येक जिले में एक बाल कल्याण समिति का गठन किया जाना है। बाल कल्याण समिति का कार्य देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की देखभाल करना है।
- विधि से संघर्षरत बच्चे: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत, कोई भी बच्चा जो किसी अपराध का दोषी है, विधि से संघर्षरत बच्चा माना जाता है। विधि से संघर्षरत बच्चों के मामलों की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड द्वारा की जाती है।
- देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत, कोई भी बच्चा जो किसी भी कारण से देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है, देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाला बच्चा माना जाता है। देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की देखभाल बाल कल्याण समिति द्वारा की जाती है।
- गोद प्रथा: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत, गोद प्रथा को विनियमित किया गया है। गोद के लिए, किशोर न्याय बोर्ड की अनुमति आवश्यक है।
- दत्तक ग्रहण: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत, दत्तक ग्रहण को विनियमित किया गया है। दत्तक ग्रहण के लिए, किशोर न्याय बोर्ड की अनुमति आवश्यक है।
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 एक महत्वपूर्ण अधिनियम है जो किशोरों के अधिकारों की रक्षा करता है। यह अधिनियम किशोरों को देखभाल और संरक्षण प्रदान करता है और उन्हें समाज में पुन: एकीकृत होने में मदद करता है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 की कुछ अन्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- किशोर न्याय बोर्डों को अधिक शक्तियां प्रदान करना: किशोर न्याय अधिनियम 2015 ने किशोर न्याय बोर्डों को अधिक शक्तियां प्रदान की हैं। इन शक्तियों में शामिल हैं:
- किशोरों को बाल सुधार गृह में भेजने की शक्ति
- बाल सुधार गृह में किशोरों की देखभाल और संरक्षण के लिए निर्देश जारी करने की शक्ति
- किशोरों को पुनर्वास और पुनर्वास कार्यक्रमों में शामिल करने की शक्ति
- किशोर न्याय बोर्डों को अधिक जवाबदेह बनाना: किशोर न्याय अधिनियम 2015 ने किशोर न्याय बोर्डों को अधिक जवाबदेह बनाया है। इसमें किशोर न्याय बोर्डों की कार्यप्रणाली की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय समिति की स्थापना शामिल है।
- किशारों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना: किशोर न्याय अधिनियम 2015 ने किशोरों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। इसमें किशोरों के अधिकारों पर जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन और किशोरों के अधिकारों के बारे में किताबें और अन्य सामग्री प्रकाशित करना शामिल है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 की मुख्य विशेषता | Kishor Nyay Adhiniyam 2015 Ki Mukhy Visheshta?
किशोर न्याय अधिनियम 2015 भारत का एक अधिनियम है जो किशोरों की देखभाल और संरक्षण के लिए प्रदान करता है। यह अधिनियम, 31 दिसंबर, 2015 को लागू हुआ था। इस अधिनियम ने किशोर न्याय अधिनियम, 2000 को निरस्त कर दिया।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- बाल अधिकारों की सुरक्षा: किशोर न्याय अधिनियम 2015 बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है। यह अधिनियम किशोरों को कानून के तहत समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है।
- बाल-मैत्रीपूर्ण प्रक्रिया: किशोर न्याय अधिनियम 2015 एक बाल-मैत्रीपूर्ण प्रक्रिया प्रदान करता है। यह अधिनियम किशोरों के साथ सम्मान और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने का प्रावधान करता है।
- किशारों का पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण: किशोर न्याय अधिनियम 2015 किशोरों के पुनर्वास और समाज में पुन: एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है। यह अधिनियम किशोरों को अपराध से पुनर्वासित करने और उन्हें सभ्य और उत्पादक नागरिक बनने में मदद करने के लिए कार्यक्रमों और सेवाओं को प्रदान करता है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 की कुछ विशिष्ट विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- किशोर की परिभाषा: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो अठारह वर्ष की आयु प्राप्त नहीं किया है, किशोर है। यह अधिनियम किशोर न्याय अधिनियम, 2000 में निर्धारित किशोर की आयु सीमा, जो 16 वर्ष से 18 वर्ष थी, को बढ़ाकर 18 वर्ष कर देता है।
- किशोर न्याय बोर्ड: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत, प्रत्येक जिले में एक किशोर न्याय बोर्ड का गठन किया जाना है। किशोर न्याय बोर्ड का कार्य किशोरों के मामलों की सुनवाई करना और निर्णय लेना है। किशोर न्याय बोर्ड में एक अध्यक्ष, एक सदस्य न्यायिक, एक सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता, एक सदस्य चिकित्सक और एक सदस्य शिक्षाविद शामिल होते हैं।
- बाल कल्याण समिति: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत, प्रत्येक जिले में एक बाल कल्याण समिति का गठन किया जाना है। बाल कल्याण समिति का कार्य देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की देखभाल करना है। बाल कल्याण समिति में एक अध्यक्ष, एक सदस्य न्यायिक, एक सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता, एक सदस्य चिकित्सक और एक सदस्य शिक्षाविद शामिल होते हैं।
- विधि से संघर्षरत बच्चे: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत, कोई भी बच्चा जो किसी अपराध का दोषी है, विधि से संघर्षरत बच्चा माना जाता है। विधि से संघर्षरत बच्चों के मामलों की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड द्वारा की जाती है।
- देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत, कोई भी बच्चा जो किसी भी कारण से देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है, देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाला बच्चा माना जाता है। देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की देखभाल बाल कल्याण समिति द्वारा की जाती है।
- गोद प्रथा: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत, गोद प्रथा को विनियमित किया गया है। गोद के लिए, किशोर न्याय बोर्ड की अनुमति आवश्यक है।
- दत्तक ग्रहण: किशोर न्याय अधिनियम 2015 के तहत, दत्तक ग्रहण को विनियमित किया गया है। दत्तक ग्रहण के लिए, किशोर न्याय बोर्ड की अनुमति आवश्यक है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 किशोरों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें समाज में पुन: एकीकृत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अधिनियम किशोरों को कानून के तहत समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें अपराध से पुनर्वासित करने और उन्हें सभ्य और उत्पादक नागरिक बनने में मदद करने के लिए कार्यक्रमों और सेवाओं को प्रदान करता है।
किशोर न्याय अधिनियम 2015 पीडीएफ डाउनलोड | Kishor Nyay Adhiniyam 2015 PDF Download?
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किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 क्या है?
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 75 बाल विवाह को क्रूरता के रूप में परिभाषित करती है। इस धारा के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो 18 वर्ष से कम आयु के बालक या बालिका के साथ विवाह करवाता है, उसे तीन वर्ष से दस वर्ष तक की सख्त कैद और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
धारा 75 के अनुसार, “क्रूरता” का अर्थ है कि कोई भी कार्य, जो किसी बालक या बालिका के शारीरिक, मानसिक या यौन स्वास्थ्य या विकास को नुकसान पहुंचाता है। बाल विवाह क्रूरता का एक रूप है क्योंकि यह बालक या बालिका के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास को नुकसान पहुंचाता है।
धारा 75 का उद्देश्य बाल विवाह को रोकना और बालकों और बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करना है।
किशोर न्याय अधिनियम कब हुआ था?
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 को 31 दिसंबर, 2015 को लागू किया गया था। इस अधिनियम ने किशोर न्याय अधिनियम, 2000 को निरस्त कर दिया।
इस अधिनियम के तहत, प्रत्येक जिले में एक किशोर न्याय बोर्ड का गठन किया जाना है। किशोर न्याय बोर्ड का कार्य किशोरों के मामलों की सुनवाई करना और निर्णय लेना है। किशोर न्याय बोर्ड में एक अध्यक्ष, एक सदस्य न्यायिक, एक सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता, एक सदस्य चिकित्सक और एक सदस्य शिक्षाविद शामिल होते हैं।
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 किशोरों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें समाज में पुन: एकीकृत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अधिनियम किशोरों को कानून के तहत समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान करता है और उन्हें अपराध से पुनर्वासित करने और उन्हें सभ्य और उत्पादक नागरिक बनने में मदद करने के लिए कार्यक्रमों और सेवाओं को प्रदान करता है।
किशोर न्यायालय में अधिकतम सजा कितनी है?
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत, किशोरों के लिए अधिकतम सजा 18 वर्ष की आयु तक की है। हालांकि, कुछ मामलों में, किशोर न्याय बोर्ड किशोर को 18 वर्ष की आयु के बाद भी सजा दे सकता है, यदि वह यह मानता है कि किशोर को अधिक समय की सजा की आवश्यकता है ताकि वह समाज में पुन: एकीकृत हो सके।
किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 19 के अनुसार, किशोर न्याय बोर्ड किशोर को निम्नलिखित सजा दे सकता है:
1. सामुदायिक सेवा: किशोर को किसी सामुदायिक परियोजना में भाग लेने के लिए आदेश दिया जा सकता है।
2. जुर्माना: किशोर को जुर्माना भरने का आदेश दिया जा सकता है।
3. निगरानी: किशोर को किसी वयस्क की देखरेख में रहने का आदेश दिया जा सकता है।
4. आवास: किशोर को किसी बाल सुधार गृह में रहने का आदेश दिया जा सकता है।
5. सजा: किशोर को जेल में बंद करने का आदेश दिया जा सकता है।
किशोर न्याय बोर्ड किशोर को दी जाने वाली सजा का निर्धारण करते समय निम्नलिखित कारकों पर विचार करता है:
1. किशोर की आयु: किशोर की आयु एक महत्वपूर्ण कारक है। किशोर जितना छोटा होगा, उसे उतनी ही कम सजा दी जाएगी।
2. किशोर के अपराध की गंभीरता: किशोर के अपराध की गंभीरता भी एक महत्वपूर्ण कारक है। गंभीर अपराध के लिए किशोर को अधिक सजा दी जाएगी।
3. किशोर के व्यक्तित्व और पृष्ठभूमि: किशोर के व्यक्तित्व और पृष्ठभूमि भी एक महत्वपूर्ण कारक है। किशोर की व्यक्तिगत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसे सजा दी जानी चाहिए।
4. किशोर के पुनर्वास की संभावना: किशोर न्याय बोर्ड यह भी सुनिश्चित करता है कि किशोर को दी जाने वाली सजा उसके पुनर्वास में मददगार हो।