अविश्वास प्रस्ताव क्या है? : Avishwas Prastav Kya Hai In Hindi
अविश्वास प्रस्ताव क्या है? : Avishwas Prastav Kya Hai In Hindi -: अविश्वास प्रस्ताव लोकतांत्रिक सरकार और संसदीय परंपरा का एक महत्वपूर्ण घटक है। संसदीय प्रणाली में, अविश्वास प्रस्ताव तब पेश किया जाता है जब विपक्षी दल (पार्टी) को लगता है कि संसद के सदन ने सत्तारूढ़ दल की सरकार पर विश्वास खो दिया है।
अविश्वास प्रस्ताव क्या है?
“अविश्वास प्रस्ताव” एक तरह की तरकीब या प्रक्रिया है जिसमें किसी विशिष्ट विचार, मत, या धारणा को प्रतिस्थापित करने का प्रयास किया जाता है, जिसका परिणाम उस विचार या धारणा का अस्वीकरण होता है। यह एक प्रक्रिया होती है जिसमें विशिष्ट तरीकों से लोगों को किसी विचार या धारणा के खिलाफ ले जाया जाता है ताकि उनका मानना या स्वीकृति करना मुश्किल हो सके।
अविश्वास प्रस्ताव का उदाहरण यह हो सकता है कि कोई व्यक्ति एक नई या असामान्य विज्ञानिक सिद्धांत, सामाजिक धारणा, या राजनीतिक प्रस्ताव को प्रस्तुत करता है, और फिर उसका उद्घाटन करके उसे लोगों के सामने रखता है। लोग इस प्रस्ताव की सत्यता या प्रामाणिकता को मानने के बजाय, उसे अविश्वास करने का प्रतिस्थान लेते हैं और उसे खारिज कर देते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव का उद्देश्य अक्सर विचारों और धारणाओं को परीक्षण करने और मानव ज्ञान की विकास प्रक्रिया में सवाल उठाने में होता है। यह एक महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है जिससे नई और उन्नत विचारों का अध्ययन किया जा सकता है, परंतु यह अक्सर संवाद और विचार-विनिमय में विवाद उत्पन्न कर सकता है।
अविश्वास प्रस्ताव में संसद सदस्य सरकार के ख़िलाफ़ वोट करते हैं, जो एक राजनीतिक प्रक्रिया है। अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर सरकार को इस्तीफा देना होगा।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 75 अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देता है। अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 50 लोकसभा सांसदों का समर्थन होना आवश्यक है। सदस्य वोट डालने से पहले अविश्वास प्रस्ताव पर बहस करते हैं। यदि अविश्वास प्रस्ताव को 50% से अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो तो सरकार को इस्तीफा देना होगा।
अविश्वास प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया है क्योंकि यह सरकार को जिम्मेदार ठहराता है। यदि जनता अब सरकार की नीतियों का समर्थन नहीं करती है तो अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किया जा सकता है।
अविश्वास प्रस्ताव कब लाया जा सकता है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 75 अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देता है। अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम से कम 50 लोकसभा सांसदों का समर्थन होना आवश्यक है। सदस्य वोट डालने से पहले अविश्वास प्रस्ताव पर बहस करते हैं। यदि अविश्वास प्रस्ताव को 50% से अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो तो सरकार को इस्तीफा देना होगा।
अविश्वास प्रस्ताव किसी भी समय प्रस्तुत किया जा सकता है, हालाँकि यह आमतौर पर तब प्रस्तुत किया जाता है जब विपक्ष सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास कर रहा हो या सरकार स्वयं अपनी नीतियों पर विश्वास खो चुकी हो।
अविश्वास प्रस्ताव सरकार को जिम्मेदार ठहराता है, जिससे यह एक शक्तिशाली राजनीतिक उपकरण बन जाता है। यदि जनता अब सरकार की नीतियों का समर्थन नहीं करती है तो अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किया जा सकता है।
यह प्रस्ताव विभिन्न स्थितियों में प्रयोग किया जा सकता है:
- विज्ञान में: नए वैज्ञानिक सिद्धांतों, तथ्यों या अनुसंधान की बातचीत में अविश्वास प्रस्ताव दिया जा सकता है। यह नए विचारों को प्रमाणित करने के लिए उन्हें सवाल उठाने का एक तरीका हो सकता है।
- सामाजिक मुद्दों में: समाज में विभिन्न मुद्दों जैसे कि राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक मुद्दों पर भी अविश्वास प्रस्ताव दिया जा सकता है।
- धार्मिक और दार्शनिक विचारों में: आध्यात्मिक, धार्मिक और दार्शनिक मुद्दों पर भी अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है, जिनसे विचार और चर्चा में विवाद उत्पन्न हो सकता है।
- प्रौद्योगिकी और तकनीकी मामलों में: नई प्रौद्योगिकियों, तकनीकों या अन्य विज्ञान शाखाओं में भी अविश्वास प्रस्ताव दिया जा सकता है।
लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव कौन ला सकता है?
अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा के किसी भी सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए कम से कम 50 अन्य सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। लोकसभा अध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव प्राप्त करते हैं और इसे सदन में प्रस्तुत करते हैं। सदस्य वोट डालने से पहले अविश्वास प्रस्ताव पर बहस करते हैं। यदि अविश्वास प्रस्ताव को 50% से अधिक सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो तो सरकार को इस्तीफा देना होगा।
अविश्वास प्रस्ताव सरकार को जिम्मेदार ठहराता है, जिससे यह एक शक्तिशाली राजनीतिक उपकरण बन जाता है। यदि जनता अब सरकार की नीतियों का समर्थन नहीं करती है तो अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किया जा सकता है।
अविश्वास प्रस्ताव को पारित करने के लिए, एकांत में होने वाले सदस्यों की अधिसूचना के आधार पर वोट कराया जाता है। अगर अविश्वास प्रस्ताव में बहुमत मिलता है, तो प्रधानमंत्री को उपस्थित विधायिका सदन (लोकसभा) से उपस्थित रहकर अपना पद गिराना होता है।
इस प्रक्रिया का उदाहरण, भारतीय लोकसभा के इतिहास में कई बार देखा गया है, जब प्रधानमंत्री के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए हैं और उन्हें सदन से हटाने का प्रयास किया गया है।
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अविश्वास प्रस्ताव का क्या अर्थ है?
अविश्वास प्रस्ताव में संसद सदस्य सरकार के ख़िलाफ़ वोट करते हैं, जो एक राजनीतिक प्रक्रिया है। अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर सरकार को इस्तीफा देना होगा।
अविश्वास प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया है क्योंकि यह सरकार को जिम्मेदार ठहराता है। यदि जनता अब सरकार की नीतियों का समर्थन नहीं करती है तो अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किया जा सकता है।
भारत में अविश्वास प्रस्ताव किसने पेश किया?
इंदिरा गांधी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष द्वारा पराजित हो गया, लेकिन उन्होंने मोरारजी देसाई, चरण सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया। विपक्ष ने मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को हरा दिया।
भारत में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले लोगों में शामिल हैं:
इंदिरा गांधी (1974, 1975, 1978)
मोरारजी देसाई (1979)
चरण सिंह (1989)
अटल बिहारी वाजपेयी (1998, 1999)
मनमोहन सिंह (2008)
नरेंद्र मोदी (2018)
अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद क्या होता है?
अविश्वास मत सफल होने के बाद प्रशासन को इस्तीफा देना होगा। प्रशासन के इस्तीफे पर राष्ट्रपति एक नया प्रधान मंत्री चुनता है। संसद को विश्वास मत में नए प्रधान मंत्री को मंजूरी देनी होगी। यदि आने वाले प्रधान मंत्री विश्वास मत नहीं जीत पाते हैं तो राष्ट्रपति नए चुनावों की घोषणा कर सकते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव भारत में एक शक्तिशाली राजनीतिक उपकरण है क्योंकि यह प्रशासन को जिम्मेदार ठहराता है। यदि जनता अब सरकार की नीतियों का समर्थन नहीं करती है तो अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किया जा सकता है।